राजद और कांग्रेस हुई आमने- सामने, महागठबंधन अब टूट की कगार पर!

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बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद महागठबंधन की राजनीति में तल्ख़ी साफ़ झलकने लगी है। हार का सदमा ऐसा है कि कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अब तक इससे उबर नहीं पाए हैं। दोनों दलों के नेता खुलकर एक-दूसरे पर नाकामी का ठीकरा फोड़ते नजर आ रहे हैं। एक ओर कांग्रेस बिहार चुनाव में हुई दुर्गति के लिए आरजेडी की रणनीति और नेतृत्व को जिम्मेदार ठहरा रही है, तो दूसरी ओर आरजेडी का आरोप है कि कांग्रेस से गठबंधन करना ही उसके लिए नुकसानदेह साबित हुआ। हार के बाद शुरू हुई यह आरोप-प्रत्यारोप की सियासत महागठबंधन के भीतर गहराते मतभेदों को उजागर कर रही है।

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दरअसल, बिहार में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों ने महागठबंधन, खासकर आरजेडी और कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है। राज्य में नई सरकार बन चुकी है, मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा भी हो गया है, लेकिन कांग्रेस और आरजेडी अब तक अपनी करारी हार को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। चुनाव परिणामों के बाद जहां कांग्रेस बिहार में अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने की जद्दोजहद में लगी है, वहीं आरजेडी नेता तेजस्वी यादव हार से इतने आहत नजर आ रहे हैं कि वे बिहार की राजनीति से लगभग गायब हो गए हैं।

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जो तेजस्वी यादव कभी सोशल मीडिया के जरिए सरकार पर रोजाना हमलावर रहते थे, उन्होंने अब एक्स और फेसबुक से भी दूरी बना ली है। हालत यह है कि तेजस्वी फिलहाल कहां हैं, इसकी सही जानकारी शायद उनकी पार्टी के नेताओं को भी नहीं है। उनकी गैरमौजूदगी में आरजेडी की कमान दूसरे नेता संभाल रहे हैं और किसी तरह पार्टी को संभाले रखने की कोशिश कर रहे हैं।

इधर महागठबंधन के भीतर आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। कांग्रेस विधायक दल के पूर्व नेता शकील अहमद खान ने चुनावी हार के लिए सीधे तौर पर आरजेडी को जिम्मेदार ठहरा दिया। उन्होंने यहां तक कह दिया कि आरजेडी से गठबंधन कांग्रेस के लिए घाटे का सौदा साबित हुआ है और बिहार में महागठबंधन अब सिर्फ नाम मात्र का रह गया है। उनका कहना था कि आरजेडी के साथ गठबंधन से न तो कांग्रेस को चुनावी फायदा हुआ और न ही संगठन मजबूत हुआ, ऐसे में इस गठबंधन पर दोबारा सोचने की जरूरत है।

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कांग्रेस नेता के इस बयान पर आरजेडी ने भी तीखा पलटवार किया है। आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि दूसरों पर सवाल उठाने से पहले कांग्रेस को अपनी स्थिति पर नजर डालनी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस को जो भी वोट मिलता है, वह आरजेडी की वजह से ही मिलता है। आरजेडी को कांग्रेस से फायदा नहीं, बल्कि नुकसान ही होता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सीटें तो ले लेती है, लेकिन उन्हें जीत नहीं पाती और इससे गठबंधन को ही नुकसान होता है।

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कुल मिलाकर चुनावी हार के बाद बिहार में महागठबंधन टूट की कगार पर नजर आ रहा है। बड़े नेता राजनीति से दूरी बनाए हुए हैं, विपक्ष के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री चेहरे भी नदारद हैं और कांग्रेस-आरजेडी के बीच बयानबाजी तेज होती जा रही है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या बिहार में महागठबंधन अब वाकई सिर्फ औपचारिक गठबंधन बनकर रह गया है?